मंगलवार, 13 सितंबर 2011

हॉकी का हक़

स्विस बैंक के एक पूर्व अफसर रूडोल्फ एल्मर का कहना है कि स्विस बैंक में भारत के कई फिल्म स्टार्स और खिलाड़ियों के गुप्त अकाउंट हैं.. जब भी ये खाते सामने आएँगे ये तय मानिए कि इसमें एक भी नाम हॉकी प्लेयर्स का नहीं होगा। वो तब जबकि जिस ओलंपिक में एक अदद पदक के लिए आज हम तरसते हैं उसके इतिहास में टीम इंडिया से बड़ी और बेहतर हॉकी टीम आज तक हुई ही नहीं। 1928 से 1956 तक यानी पूरे 28 साल तक टीम इंडिया ने ओलंपिक हॉकी के 6 गोल्ड लगातार जीते। फिर भी आज आलम ये है कि टीम इंडिया को ओलंपिक में शिरकत करने के लिए क्वालीफायर्स से गुजरना पड़ता है। हॉकी इंडिया और आईएचएफ के झगड़े की वजह से चैंपियन्स ट्राफी की मेजबानी भारत से छीनकर न्यूजीलैड को दे दी गई है, अब खतरा इंटरनेशनल हॉकी फेडरेशन की सदस्यता पर भी है, भारत इस फेडरेशन का पहला गैर यूरोपीयन मेंबर था।

गैरमुनासिब वजहों से बार बार चर्चा में आती आई हॉकी अब कई साल बाद जीत की वजह से सुर्खियों में आई है। ये जीत भी ऐसी जिसका स्वाद ही अलग है। फाइनल में पाकिस्तान को हराकर आई टीम इंडिया के लिए इनामों और तोहफों की बरसात की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। दर्जन भर देशों के खेल.. क्रिकेट में टीम केवर्ल्डकप जीतने पर करोड़ों के इनाम का ऐलान करने वाले मुख्यमंत्री और कॉरपोरेट्स , राष्ट्रीय खेल हॉकी मे टीम की जीत के जश्न में जैसे शरीक ही नहीं। क्रिकेट में इरफान पठान जैसे टीम इँडिया से बाहर हो चुके प्लेयर को भी आईपीएल में महज चंद मैच खेलने के लिए 9 करोड़ मिलते हैं तो वहीं देश का नाम रोशन करनेवाले राजपाल और हलप्पा को चीन में चैंपियन्स ट्राफी में खेलने के लिए  हर दिन के महज 20 डॉलर।
हॉकी के ट्रेजडी ये है कि इसका सबसे शानदार दौर लाइव टीवी की शुरुआत के पहले ही बीत गया। हॉकी में टीम इंडिया की आखिरी सबसे बड़ी जीत 1975 क्वालालम्पुर में वर्ल्डकप की जीत थी। ये मैच दुनिया भर में लाइव दिखाया गया था लेकिन तब भारत में ब्लैक एंड व्हाइट टीवी का जमाना था और देश भर में मुश्किल से कुछ हजार ही टीवी सेट थे, वो भी देशके सिर्फ सात बड़े शहरों में। वहीं 1983 में जब टीम इंडिया ने क्रिकेट का वर्ल्डकप जीता तब उसके एक साल पहले यानी 1982 में एशियाड के साथ ही छोटा पर्दा रंगीन बन चुका था और देश भर में टीवी का प्रसारण शुरु हो गया था।  कपिल की जीत .. सारे देश की जीत बन गई।
अब लगता है कि जैसे हॉकी का सुनहरा दौर एक बार फिर लौट आया है। लेकिन नोब्स का असली इम्तहान अगले साल की शुरुआत में होगा जब ओलंपिक क्वालीफायर शुरू होंगे।  सिर्फ एक बड़ी जीत हॉकी का भविष्य बदल सकती है,


गुरुवार, 1 सितंबर 2011

महज एक गांव नहीं है रालेगण


इस गांव में अब कोई सोता नहीं
इस गांव में अब कोई रोता नहीं
बात हुनर की नहीं हौसले की है
अब यहां तिनकों में तूफान उतर आया है
जिन आंखों ने कभी रोशनी देखी न थी
उन आंखों में अब सूरज उतर आया है
जिन लबों ने बोलना सीखा न था
उन लबों पर अब शोर उतर आया है
वो सोचते थे कतरों का क्या है आ मिलेंगे दरिया से
इन कतरों में अब समंदर उतर आया है
इस गांव में अब कोई सोता नहीं
अब यहां बेहतरी का ख्वाब उतर आया है
वो सोचते थे ये मोम के परिन्दे हैं, जल जाएंगे
अब सूरज पूछ रहा हैहौसला क्या है
वो सोचते थे ये दीये हैं पनाह मांगेंगे
अब तूफान पूछ रहा है, माजरा क्या है ?
इस गांव में अब कोई सोता नहीं
इस गांव में अब कोई रोता नहीं
मुल्क बनाने का तसव्वुर है यहां
अब हर शहर पूछ रहा है पता क्या है ?