कोरोना पर दुनिया के सबसे बड़े एक्सपर्ट का क्या कहना है?
चीन के साइंटिस्ट जो कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रहे हैं, दुनिया के सामने कम ही आते हैं। उनमें से ज्यादातर इस महामारी को समझने और उसका मुकाबला करने के तरीके ढूंढने में इतने व्यस्त हैं कि उनके पास खास कर फॉरेन मीडिया को इंटरव्यू देने के लिए ज्यादा वक्त नहीं है। अब उनमें से एक शख्स सामने आया है और उसने साइंस मैगजीन को इंटरव्यू दिया है।
इस शख्स के बारे में आपको क्यों जानना चाहिए?
इसकी एक नहीं 5 वजहें हैं।
1.
जॉर्ज गाओ ने ऑक्सफोर्ड से biochemistry में Ph.D. और Harvard University से postdocs किया। यहां उनका विषय था immunology and virology. वो दुनिया के चंद वायरोलोजिस्ट्स में हैं, जिन्हें नाजुक lipid membranes वाले वायरस का एक्सपर्ट माना जाता है। SARS-CoV-2 इसी तरह का एक वायरस है।
2.जॉर्ज गाओ चीन के CDC यानी Chinese Center for
Disease Control and Prevention- के DG हैं।
3.
गाओ चीन में 2हजार वायरोलॉजिस्ट की उस टीम के अगुवा हैं जो कोविड 19 पर लगातार रिसर्च कर रही है।
4.
गाओ खुद भी रिसर्चर हैं और वो उस टीम के मेंबर थे जिसने जनवरी में पहली बार SARS-CoV-2 वायरस को isolate और sequencing करने में कामयाबी हासिल की।
5.
उनके नाम कोविड 19 पर दो पेपर हैं जो NEJM में छपे...इस पेपर में पहली बार कोविड 19 वायरस की epidemiology और clinical features को डिटेल में बताया गया। इसके बाद इनके तीन और रिसर्च पेपर The Lancet में पब्लिश हुए।
साइंस मैगजीन के सवाल और जॉर्ज गाओ के जवाब
Q: कोरोना के बारे में हम चीन से क्या सीख सकते हैं?
गाओ- सबसे बड़ी, सबसे कामयाब रणनीति है Social distancing. ये किसी भी संक्रामक बीमारी के लिए सही है। खास कर जिनसे फेफड़ों में संक्रमण होता है। शुरूआत में हमने इसके लिए कोई दवा इस्तेमाल नहीं की, क्योंकि इसकी कोई दवा थी नहीं, न कोई वैक्सीन थी।
दूसरी जरूरी चीज है फौरन हर संक्रमित शख्स को isolate करना।
तीसरी जरूरी बात ये है कि संक्रमित व्यक्ति के हर करीबी को quarantine करना। चाहे जितना वक्त लगे, मेहनत हो, ये तय कीजिए कि संपर्क में आने वाला हर शख्स quarantined और isolated हो जाए।
चौथी जरूरी चीज है हर तरह की public gatherings को फौरन रोकना। अगर ये सब कुछ सही तरह से नहीं हो पा रहा तब lockdown ही उपाय है।
Q: दूसरे देश क्या गलतियां कर रहे हैं?
अमेरिका और यूरोप में कम लोग मास्क पहन रहे हैं। ये वायरस droplets
और close contact से फैलता है। जब आप बोलते हैं तब आपको पता नहीं चलता लेकिन आपके मुंह से बहुत सारे droplets निकलते रहते हैं । बहुत सारे कोरोना के मरीज asymptomatic or presymptomatic
infections वाले होते हैं। अगर वो मास्क पहनते हैं तो उनके मुंह से droplets बाहर नहीं आते और आप और दूसरे लोग संक्रमित होने से बच जाते हैं।
Q: चीन बहुत अलग तरह से कंट्रोल के तरीके अपना रहा है। हर जगह थर्मामीटर से चेकिंग होती है, ऐसा क्यों?
गाओ- हां ये जरूरी है। आपको कोशिश करनी है कि आप जितनी बार और जितनी जगह हो सके, लगातार लोगों का टेंपरेचर लेते रहें, ताकि जिसे भी बुखार है उसे फौरन अलग किया जा सके।
Q: ये वायरस कितनी देर बाहर जिंदा रहता है ?
गाओ- क्योंकि ये enveloped virus है तो लोग सोचते हैं कि ये नाजुक है और इसे तापमान या नमी से फर्क पड़ता है। लेकिन चीन और अमेरिका में हुए रिसर्च से पता चलता है कि ये वायरस कई तरह की सतहों पर बिल्कुल नाजुक नहीं है ये बहुत तरह के वातावरण में जीवित रहने में सक्षम है।
Q: चीन के वुहान में लोगों को चीन के बाकी हिस्से से पूरी तरह isolate कर दिया गया, क्या यही उपाय है जो दूसरे देशों को भी करन चाहिए ?
गाओ- ये जरूरी है कि हर संक्रमित व्यक्ति को आप isolate करें। ये हर जगह होना चाहिए। कोविड
19 से मुकाबला करने का यही एक उपाय है कि आप infection के source को ही लोगों के बीच से हटा दें। इसी लिए हमने module hospitals बनाए,
खेल के बड़े मैदानों को अस्पताल में तब्दील कर दिया।
Q: चीन में इस वायरस की शुरूआत को लेकर कई सवाल हैं। चीन के कई साइंटिस्ट कहते आए हैं कि पहला केस 1 दिसंबर 2019 को आया। South China Morning Post की रिपोर्ट में कहा गया कि
चीन की सरकार के पास डाटा है जिससे पता चलता है कि
17 नवंबर को पहला केस रिपोर्ट हुआ था।
गाओ- इस बात के पुख्ता सबूत नहीं हैं जिसके आधार पर ये कहा जा सके कि नवंबर में क्लस्टर केसेज थे। इसकी शुरूआत को ज्यादा बेहतर तौर पर समझने की हम कोशिश कर रहे हैं।
Q: वुहान में हेल्थ अफसरों ने 1 जनवरी 2020 को हुनान के सीफूड बाजार में कई क्लस्टर केसेज देखे। तब ये कहा गया कि किसी जानवर से ये वायरस इनसान में आया है जिसे इस बाजार में बेचा और मारा गया था। लेकिन NEJM - new England journal
of medicine में आपका एक पेपर पब्लिश हुआ जिसमें आपने पहली बार ये बताया कि शुरूआत के पांच में से चार केस का सीफूड बाजार से कोई लिंक नहीं था।अब आप इस बारे में क्या सोचते हैं ?
गाओ- ये एक बहुत अच्छा सवाल है। शुरू में हर कोई सोच रहा था कि बाजार से ही ये शुरू हुआ। अब मैं सोचता हूं कि हो सकता है कि ये वायरस यहीं से शुरू हुआ या फिर ये यहीं से तेजी से बढ़ा। ये साइंस का सवाल है...इसके दो जवाब मुमकिन हैं।
Q: चीन की आलोचना होती है कि उसने वायरस की सीक्वेन्सिंग को दुनिया के सामने फौरन नहीं रखा। इस बारे में पहली रिपोर्ट वाल स्ट्रीट जर्नल ने 8
जनवरी को छापी। ये रिपोर्ट चीन की सरकार या वहां के साइंटिस्ट्स की ओर से क्यों नहीं आई ?
गाओ – वाल स्ट्रीट जर्नल ने बहुत अच्छा अनुमान लगाया। WHO को वायरस की सीक्वेन्सिंग के बारे में बता दिया गया था।
मुझे लगता है कि चीन की सरकार की ओर से इसकी जानकारी देने और वालस्ट्रीट जर्नल में इसके बारे में छपने में शायद कुछ घंटों का ही फर्क था।
Q: अब ये पता चला है कि 5 जनवरी को चीन के वैज्ञानिकों ने सरकार को ये डाटा सौंप दिया था। इस तरह कम से कम तीन दिन की देरी तो जरूर हुई।
गाओ- मुझे ऐसा नहीं लगता। हमने ये डाटा फौरन शेयर कर दिया था। लेकिन क्योंकि ये जनता के स्वास्थ्य का मामला था, इसलिए हमें सरकार की ओर से इसका ऐलान करने का इंतजार करना पड़ा। आप नहीं चाहते कि जनता में अफरा-तफरी का माहौल बन जाए। तब कोई नहीं जानता था कि ये वायरस महामारी बन जाएगा। ये दुनिया की पहली noninfluenza महामारी है ।
Q: क्या वजह है कि चीन के साइंटिस्ट को
ये बताने में कि ये वायरस इनसान से इनसान में फैल सकता है,
20
January तक का वक्त लग गया?
गाओ- क्योंकि तब तक हमारे पास
Detailed epidemiological data नहीं आया था। हमारे सामने एक शातिर वायरस था जिसका पता लगाना मुश्किल था। यही यूरोप और अमेरिका में भी हुआ। शुरूआत में हर जगह लोगों को यही लगा कि ये बस एक वायरस ही तो है।
Q: चीन में ये वायरस करीब-करीब खत्म हो गय है और नए मामले सिर्फ उनके हैं जो बाहर से चीन आ रहे हैं। ये सही है ना?
गाओ – हां ये सही है। हमारे पास अब local transmission का कोई मामला नहीं है। अब हमारी परेशानी सिर्फ imported
cases को लेकर है।
Q: जब चीन में हालात पूरी तरह से नॉर्मल हो जाएंगे, तब क्या होगा? क्या आपको लगता है कि अब चीन में इतने लोग संक्रमित हो चुके हैं कि इनमें herd
immunity आ गई है?
गाओ- हम herd immunity तक अभी यकीनन नहीं पहुंचे हैं। लेकिन हम ज्यादा से ज्यादा antibody tests चाहते हैं जिससे हम पक्के तौर पर ये जान सकें कि कितने लोग अब तक इससे संक्रमित हुए हैं।
Q: अब आगे की रणनीति क्या है ?
गाओ- हमारे साइंटिस्ट वैक्सीन और दवा दोनों बनाने की कोशिश में लगे हैं।
Q: कई साइंटिस्ट मानते हैं कि remdesivir कोरोना के लिए सबसे सही दवा साबित हो सकती है। इसके क्लिनिकल ट्रायल का डाटा कब तक आने की उम्मीद है?
गाओ – अप्रैल में
Q: दवा, वैक्सीन और पैथोजीन की स्टडी के लिए क्या चीन के साइंटिस्ट कुछ जानवरों पर काम कर रहे हैं ?
गाओ- अभी हम बंदर और चूहों पर काम कर रहे हैं जिनमें ACE2- human receptor for the virus है। चूहों पर हम अरसे से काम कर रहे हैं। मैं आपको बता सकता हूं कि जल्द ही कुछ रिसर्च आने वाले हैं जिससे साबित होगा कि हमारा बंदर वाला मॉडल भी बखूबी काम करता है।
Q: प्रेसीडेंट ट्रंप कोरोना वायरस को चाइना वायरस बता रहे हैं, इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
गाओ- ये सही नहीं है। ये धरती का वायरस है...हम सब का दुश्मन है, किसी एक देश या व्यक्ति का नहीं।
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