बुधवार, 20 जुलाई 2011

सचिन ..बस नाम ही काफी है!

जिन्होंने ब्रेडमैन को कभी खेलते नहीं देखा, लेकिन सचिन को देखा है, अब वो भी जानते हैं कि ब्रेडमैन ..सचिन की तरह खेलते थे। क्रिकेट कभी भारत में सिर्फ एक खेल नहीं रहा, लेकिन बीते 22 साल से .. इस खेल के लिए अगर देश की आधी आबादी दफ्तर से घर तक झूठ बोलती आई है तो इसकी शायद सबसे बड़ी वजह हैं सचिन। सवा सौ करोड़ के इस देश में अगर कोई एक शख्स है जो हर घर में रहता है. हर दिल में बसता है, उसकी खुशी समूचे देश की खुशी, और उसका गम सारे देश का गम बन जाता है तो वो है सचिन।  ये वो शख्स है जिसके  सौवें शतक को लार्ड्स में  बनते देखने की हसरत ब्रायन लारा रखते हैं। ये वो शख्स है जिसके इंगलैंड आने की खबर से ही टेस्ट मैच से लेकर वन डे तक सारी सीट फुल हो जाती है। ये वो शख्स है जिसे हारते हुए कोई नहीं देखना चाहता, सामने खड़ी अपोजिशन टीम भी नहीं। ये वो शख्स है जो जुबान से नहीं सिर्फ बल्ले से बातें करता है।वो भी कुछ इस तरह कि दुनिया जिन गेंदबाजों को सलाम करती है, वो गेंदबाज भी सचिन के नाम से डरते हैं। क्रिकेट पहले भी खेला गया है, क्रिकेट आगे भी खेला जाता रहेगा।लेकिन इस खेल में सचिन होने के मायने ये हैं कि जिन्होंने कभी क्रिकेट नहीं खेली, नहीं देखी वो भी जानते हैं कि ये वो खेल है जो सचिन खेलता है।  अब.. इस सवाल का जवाब भी मिल गया है कि अगर भगवान क्रिकेट खेलते तो किस तरह खेलते।
सचिन ..बस नाम ही काफी है।



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