आम तौर पर जिस शख्स का नाम देश के सबसे बड़े घोटाले से जोड़ा जाएगा उसके चेहरे पर शर्मिंदगी और हाव भाव में घबराहट नज़र आएगी, लेकिन राजा तमाम इल्जामों को सियासी साजिश बता कर सिरे से खारिज कर रहे हैं। उनमें न कैग का डर है न सुप्रीम कोर्ट की फटकार की शर्म। आखिर इतनी बेशर्मी उन्होंने पाई कहां से।
अशोक चव्हाण की तरह राजा ये नहीं कहते कि वो पाक साफ हैं और जांच में उनकी बेगुनाही सामने आ जाएगी। वो सुरेश कलमाड़ी की तरह हैं जो हर इल्जाम का जवाब दूसरे पर इल्जाम लगाकर देते हैं। दरअसल राजा सियासत की नई पौध हैं जिसके लिए सियासत अकूत मुनाफे का कारोबार है और कारोबार में मुनाफे की खातिर सब जायज है। राजा जानते हैं कि तमाम नियमों को ताक पर रख कर महज एक घंटे में लाइसेंस का दिया जाना देश की किसी अदालत में वैध करार नहीं दिया जा सकेगा। लेकिन उन्हें इसकी चिन्ता भी नहीं है। उनकी सफाई ये है कि उन्होंने प्रधानमंत्री को हर फैसले से वाकिफ रखा था। सुबूत बताते हैं कि राजा पूरी तरह से ग़लत भी नहीं। सोलिसिटर जेनरल जी ई वाहनवती पिछले साल दिसंबर में अदालत में हलफनामा देकर राजा की तमाम कार्रवाईयों को सही ठहरा चुके हैं। यही नहीं अगर दस जनवरी का राजा का बदनाम प्रेस रीलिज अवैध था, और ये पत्रकारों का नहीं एस टेल के मामले में हाईकोर्ट का कहना है तो इसका क्या जवाब है कि अब तक कैबिनेट ने इस प्रेसरीलिज को रद्द नहीं किया है। सवाल कई हैं। मसलन राजा ने अक्टूबर 2007 के ट्राइ के फैसले के खिलाफ जाकर जब अप्रैल 2008 में स्वान, यूनीटेक और एस टेल को अपनी इक्विटी बेचने की इजाजत दे दी तब कंपनी एफेयर्स मंत्रालय क्य कर रहा था। सवाल ये भी है कि जब राजा ट्राई एक्ट के सेक्शन 11 का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन करते हुए ट्राय को अंगूठा दिखा रहे थे तब कानून मंत्रालय क्या कर रहा था। हकीकत ये है कि राजा शुरु से जानते थे कि वो जो कर रहे थे वो पूरी तरह गैरकानूनी था। वो ये भी जानते थे कि उन्हें इसके लिए कई मुश्किल सवालों का जवाब देना पड़ सकता है लेकिन अगर आप आज भी राजा की पेशानी पर शिकन नहीं देखते तो इसकी वजह ये है कि पेशे से वकील राजा ने इसके लिए पूरी तैयारी पहले ही कर रखी थी। राजा का सबसे बड़ा बचाव ये है कि वो कैबिनेट मंत्री हैं। हमारे यहां कैबिनेट सिस्टम पर सरकार चलती है। इसके मायने ये हैं कि मंत्री के हर फैसले के लिए वो अकेला नहीं पूरी कैबिनेट जिम्मेदार होती है। राजा को ये इत्मीनान है कि खुद को बचाने की नीयत से कैबिनेट राजा को बचाने केलिए एड़ी चोटी का जोर लगा देगी। लेकिन ऐसा नहीं कि राजा की ताकत सिर्फसियासी है। इस महाघोटाले में उन्होंने चंद रियल इस्टेट कंपनियों को तो रंक से राजा बना ही दिया देश की सबसे नामचीन टेलीकॉम कंपनियां जैसे एयरटेल, रिलायंस और वोडाफोन को भी उन्होंने फायदा पहुंचाया है। यही राजा की सबसे बड़ी ताकत है वो ये जानते हैं कि मुसीबत में पड़ने पर वो किन पर भरोसा कर सकते हैं। हां अगर किसी को नहीं मालूम कि वो किस पर भरोसा करे तो वो है मुल्क की अवाम..। वैसे भी सियासत में भरोसा अब बीते जमाने की बात लगने लगी है।
आशीष जी
जवाब देंहटाएंबधाई हो। ब्लॉग दुनिया में स्वागत है।
सही कहा सर...
जवाब देंहटाएंसबसे पहले सर ब्लॉगर्स की दुनिया में आपका स्वागत। एक बढ़िया लेख के लिए आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंदरअसल, सवाल यह है कि बात राजा के भ्रष्टाचार तक ही सीमित नहीं है। प्रधानमंत्री ने टी.आर.बालू और ए.राजा को मंत्रीमंडल में शामिल करने से साफ़ इंकार कर दिया था, तब लुटेरों के दल(कॉरपोरेट सेक्टर के दिग्गजों व प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कुछ कथित महान पत्रकारों) ने ए.राजा को टेलिकॉम मिनिस्ट्री दिलाने में जी जान लगा दी। वे सफल भी हुए।
अब सवाल यह उठता है कि इसकी गाज़ सिर्फ़ ए.राजा पर ही नहीं, बल्कि उन सभी लुटेरों पर भी गिरनी चाहिए, जिन्होंने आम जनता का 70 हज़ार करोड़ दिनदहाड़े महज़ एक घंटे में लूट लिया।
यह तो दुनिया की सबसे बड़ी लूट है।
Great Sir, I hope you will regulate this pace over it, sincerely hoping few more sarcasms ahead :)
जवाब देंहटाएंवैसे ये सिर्फ लोकतन्त्र में ही हो सकता है कि "राजा" घोटाले में फंसा हो.. और उसके बाद भी प्रजा के पास सिवाए ये कहने के कुछ ना बचे कि... जैसे उनके दिन फिरे.. वैसे सबके फिरें...।
जवाब देंहटाएंसर वर्ड वैरिफिकेशन भी हटा लें तो टिप्पणी करने में और आसानी हो जाएगी...
जवाब देंहटाएंजिस मुल्क की सत्ता और सरकार में भ्रष्टाचार संस्थागत रूप ले चुकी हो, वहां राजा जैसा चरित्र या किरदार कोई हैरानी भरा नहीं है। यहां उन बेईमानों और बेशर्मों का नाम गिनाने का इरादा नहीं है क्योंकि फेहरिस्त इतनी लंबी है कि उसे किसी ढांचे में समेट पाना भी मुश्किल काम होगा। लिहाजा, आपने राजा के बहाने बेईमानों की ख़बर ली है तो कम-से- कम इतिहास में आप तटस्थों की श्रेणी में नहीं रखे जाएंगे। लिखिये और खूब लिखिये। हमारी ढेर सारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
जवाब देंहटाएंराजनीति में जो पकड़ा जाए वही चोर...और जो बिना डकार हज़म कर ले...वो है सबसे बड़ा राजनीतिज्ञ...राजा,चव्हाण और कलमाडी अभी पके नही...राजा नए हैं... चव्हाण राजनीति में होकर राजनीति का शिकार हो गए और कलमाडी सफलता का श्रेय लेने में...घोटाले का सारा क्रेडिट ले बेठे...
जवाब देंहटाएंसबसे पहले आपको बधाई सर....
जवाब देंहटाएंबात राजा की...अगर राजा का कोई कुछ बिगाड़ भी ले सर तो ज्यादा से ज्यादा क्या बिगाड़ लेगा यही ना कि सालों साल उस के खिलाफ मुकदमे लंबित चलते रहेंगे..अगली बार जनता ने मौका ना भी दिया दो क्या है..उससे अगली बार सही..न्यायव्यवस्था की सुस्त चाल का फायदा जहां लाखों घोटालेबाज उठा रहे हैं..एक और सही..आई लव माई इंडिया...
ये इंडिया है मेरी जान... यहां सब कुछ जायज है.. और सब संभव भी है.. राजा रंक होने से बच निकलेंगे.. कियोंकि उनके साथ कैबिनेट की पूरी टीम खड़ी है... रही बात पैसे की तो वो तो भारत में बहुत है हालही में ओबामा आए और अमेरिकियों के लिए भारत में नौकरी का ऑप्सन लेकर चले गए... यानी भारत का दिल बड़ा है.. जनता की बात करें तो ये सबकुछ भूलकर सो जाती है.. सुबह उठती है तो खबर से मीडिया भी हट जाता है और जनता भी....
जवाब देंहटाएंsir, aur bhi bahut log samil hain is bandar baant main.... naam hai mere paas.
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